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Wednesday 18 March 2015

व्हाट्सऐप पर कॉलिंग वाइरस ने हैक किये लाखों मोबाइल

Kamlashanker Vishvakarma, (19 मार्च, 2015)
व्हाट्सऐप से फ्री कॉलिंग के चक्कर में लाखों लोगों ने अपने मोबाइल में वाइरस इंस्टॉल कर लिया है। व्हाट्सऐप यूसर्स से मिल रही जानकारी के अनुसार उनको "व्हाट्सऐप कॉलिंग इन्वाइट" का एक मेसेज भेजा जा रहा है जो की वाइरस की तरह फ़ैल रहा है। जहाँ भी फ्री शब्द जुड़ा हो वहां थोडा सोच समझकर कदम बढ़ाना चाहिए अन्यथा आप किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। ऐसा ही कुछ आजकल व्हाट्सऐप के यूज़र्स के साथ हो रहा है। आपका कोई मित्र आपको लिंक भेजकर कहे कि "Hey, i am inviting you to try Whatsapp calling click here to activate now --> http://www.whatsappvoicecalls.com/"
इस तरह का मेसेज आपको कोई भेजे तो उसे कदापि एक्टिवेट न करें और ना ही किसी दोस्त को इन्वाइट भेजें। अन्यथा आपका मोबाइल भी हैक हो जायेगा। क्योंकि ये हैकर्स के द्वारा छोड़ा गया एक मॉलवेयर है जो कि आपके मोबाइल का सारा डेटा चुरा सकता है जिसमें आपकी कई निजी जानकारियां, फ़ोटोज़ और दस्तावेज हो सकते है। मॉलवेयर वो होते है जो आपके मोबाइल को कोई नुक्सान नहीं पहुँचते है लेकिन आपकी निजी जानकारियों को हैक करके आपके लिए मुसीबत कड़ी कर सकते है। व्हाट्सऐप की ऑफिशियल वेबसाईट और ब्लॉग्स पर भी कॉलिंग से संबंधित कोई अपडेट नहीं दिया गया है।
कैसे बचा जा सकता है इस वाइरस से:
1.आपको कोई व्हाट्सऐप कॉलिंग का मेसेज भेजे तो आप इसे इंस्टॉल ही न करें।
2.और यदि आपने इसे गलती से इंस्टॉल कर भी लिया है तो तुरंत अपने मोबाइल से व्हाट्सएप्प को अनइंस्टॉल करके फिर से इंस्टॉल करें और अपने जी-मेल आईडी का पासवर्ड चेंज कर ले। यदि आपने अपने एटीएम का पिन नंबर भी इसमें सेव किया हुआ हो तो उसे भी बदल दे अन्यथा उसका इस्तेमाल भी ऑनलाइन ट्रांसेक्शन में हो सकता है।
3. अपने मोबाइल को ऐसे मालवेयर्स से बचाने के लिए एंटी वाइरस का इस्तेमाल अवश्य करें।
(लेखक Kamlashanker Vishvakarma जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्तर के सोशल मीडिया और जनसंचार सलाहकार है)

Sunday 15 March 2015

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नवीन अखिल भारतीय कार्यकारिणी की घोषणा

नागपुर (15 मार्च, 2015) नागपुर में संपन्न तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्ष 2015-2016 के लिए नये उत्तरदायित्व घोषित किये गए: अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में
सरसंघचालक- डॉ. मोहन राव भागवत
सर कार्यवाह- सुरेश “भैयाजी” जोशी
सह सर कार्यवाह- दत्तात्रेय होसबाले, सुरेश सोनी, डॉ. कृष्ण गोपाल, भागैया जी
बौद्धिक प्रमुख- स्वतरंजन जी
सह बौद्धिक प्रमुख- मुकुंद सी. आर.
शारीरिक प्रमुख- सुनील कुलकर्णी
सह शारीरिक प्रमुख- जगदीश प्रसाद
संपर्क प्रमुख- अनिरुद्ध देशपांडे
सह संपर्क प्रमुख- अरुण कुमार, सुनील देशपांडे
सेवा प्रमुख- सुहास हिरेमठ
सह सेवा प्रमुख- अजिथ महापात्र, गुनवंथ कोठारी
व्यवथा प्रमुख- मंगेश भेंडे
सह व्यवथा प्रमुख- अनिल ओक
प्रचार प्रमुख- डॉ. मनमोहन वैद्य
सह प्रचार प्रमुख- जे नंदकुमार
प्रचारक प्रमुख- सुरेश चन्द्र
सह प्रचारक प्रमुख- विनोद कुमार
केन्द्रीय कार्यसमिति सदस्य- इन्द्रेश कुमार, मधुभाई कुलकर्णी, शंकर लाल, डॉ.दिनेश, मुकुंद राव पनाशिकर, सांकल चन्द्र बागरेचा, हस्तीमल, सुनीलपद गोस्वामी, महावीर जी, अशोक भेरी, आर. वन्याराजन, श्रीकृष्ण माहेश्वरी, पुरुषोत्तम परांजपे, बजरंगलाल गुप्ता, दर्शन लाल अरोड़ा, डॉ. ईश्वर चन्द्र गुप्ता, सिद्धार्थ सिंह, रानेंद्रलाल बनर्जी और असीमा कुमार गोस्वामी।
आमंत्रित सदस्य- बालकृष्ण त्रिपाठी, सेथुमाधवन, मदनदास देवी एवं सभी क्षेत्र संघचालक।
प्रांत/क्षेत्र में भी कुछ अन्य उत्तरदायित्व
परिवर्तन हुए -
श्री सुधीर- प्रांत प्रचारक, कर्नाटक दक्षिण
श्री गुरू प्रसाद- सह प्रांत प्रचारक, कर्नाटक दक्षिण
श्री शाम कुमार- क्षेत्र प्रचारक, दक्षिण-
मध्य क्षेत्र (कर्नाटक, आंध्र और तेलंगाना)
व्ही नागराज- क्षेत्र संघचालक, दक्षिण-
मध्य क्षेत्र (कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना)
रामदत्त चक्रधर जी- क्षेत्र प्रचारक, उत्तरपूर्व (बिहार-झारखण्ड)
अरुण जैन जी- क्षेत्र प्रचारक, मध्यक्षेत्र
राजकुमार मतले जी- संपर्क प्रमुख, मध्य क्षेत्र
श्री रंग राजे जी- प्रान्त प्रचारक, महाकौशल
(स्त्रोत: विश्व संवाद केंद्र, आर.एस.एस.)

Monday 9 March 2015

चरण-स्पर्श का वैज्ञानिक एवं वैदिक महत्व

Maa ke Charan Sparsh karte hue Modi Ji
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार देवता, गुरू, माता-पिता एवं बुजुर्गों की चरण वंदना को श्रेष्ठ माना जाता है, भारतीय वैदिक संस्कृति में इसको सबसे ज्यादा मान्यता भी प्राप्त हैं। चरण स्पर्श के लिए सम्मानीय श्रद्धेय व्यक्ति के समक्ष झुकना होता है जो हमारे अंदर विनम्रता के भावों को जगाता है और जब हम विनम्र होकर वरिष्ठजनों के चरण छूते हैं तो वैज्ञानिक सिध्दांत के अनुसार यह एक टच थैरेपी हैं जो ऊर्जा को गतिमान बनाती है।
कोई भी व्‍यक्ति कितना ही क्रोधी स्‍वभाव का हो, अपवित्र भावनाओं वाला हो यदि उसके भी चरण स्‍पर्श किए जाते हैं तो उसके मुख से आशीर्वाद, दुआएं, सदवचन ही निकलते हैं।
धर्म शास्त्रों में "मां" को सर्वोच्च दर्जा दिया गया है। श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि, ‘माताओं के चरण स्पर्श से मिला आशीष, सात जन्मों के कष्टों व पापों को दूर करता है और उसकी भावनात्मक शक्ति संतान के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।’
‘ मां के चरणों में स्वर्ग है।’ "मां " से बढ़ कर कोई बड़ा शब्द नहीं होता। त्याग, तपस्या और सेवा का दूसरा नाम ही तो मां है।
आपके दिन की शुरुआत कैसी होती है इसका प्रभाव आपके पूरे दिन के काम पर पड़ता है इसलिए यह आवश्यक है कि आप दिन की शुरुआत इस तरह से करें कि सब कुछ आपके अनुकूल हो जाए। आप जो भी काम करें उसमें आपको सफलता मिलती जाए। "मां " का आशीर्वाद एक अच्छा अहसास है जिससे जीवन रूपांतरित होता है I
मां का चरण स्पर्श करके आप उस परमात्मा को प्रणाम करते हैं जो व्यक्ति के शरीर में आत्मा के रूप में मौजूद होता है। चरण स्पर्श करते समय हमेशा दोनों हाथों से दोनों पैरों को छूना चाहिए। एक हाथ से पांव छूने के तरीके को शास्त्रों में गलत बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। विशेष तौर पर जब आप किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हों या कोई नया काम शुरू कर रहे हों। इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
मेरा विचार है की - माँ के चरण स्पर्श से या किसी भी बुजुर्ग के चरण स्पर्श (छूने से) करने से आपके अंदर सेल्फ कांफिडेंस आता है, जो किसी भी कार्य करने के लिए जरुरी है और आप उस कार्य मेँ सफल होते हें !
मां इस दुनिया में बच्चों के लिए ईश्वर का ही प्रतिरूप है, जिसकी दुआएं उसे हर बला से सुरक्षित रखती हैं। मां के चरण-स्पर्श करने से कुछ पलों के लिए सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा ‍है कि माता-पिता इस संसार में सबसे अधिक पूजनीय है। भगवान् श्री राम भी रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले माता-पिता चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य का अधिकारी भी माता-पिता के आशीर्वाद ने ही बनाया।
जो मनुष्य सुबह उठते ही सर्वप्रथम अपनी मां के चरण स्पर्श करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल ये चार चीजें सदैव बढ़ती हैं और जिस व्यक्ति में इन चार चीजों की वृद्धि होगी उनके स्वस्थ रहने में कोई संदेह नहीं।
चरण वंदन, प्रणाम, नमन हमारी संस्कृति के संस्कार हैं। हमारी धरोहर है। नई पीढ़ी एवम अपने बच्चो को ये संस्कार जरुर देँ।

Sunday 8 March 2015

मूर्ती पूजा का रहस्य

Mystery of Murti Pooja : Swami Vivekananda
कोई कहे कि हिन्दू मूर्ती पूजा क्यों करते हैं? तो उन्हें बतायें मूर्ती पूजा का रहस्य।
स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और बोला- “तुम हिन्दू लोग मूर्ती की पूजा करते हो ? जो कि मिट्टी, पीतल और पत्थर की बनी होती है। मैं ये सब नहीं मानता। ये तो केवल एक पदार्थ मात्र है।”
उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी की नजर उस तस्वीर पर पड़ी।
विवेकानंद जी ने राजा से पूछा- “राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?”
राजा बोला- “मेरे पिताजी की”
स्वामी जी बोले- “उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिये।”
राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है।
स्वामी जी राजा से- “अब आप इस तस्वीर पर थूंकिए !”
राजा- “ये आप क्या बोल रहे हैं, स्वामी जी.?
“स्वामी जी- “मैंने कहा उस तस्वीर पर थूंकिए.!”
राजा (क्रोध से)- “स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नहीं कर सकता।”
स्वामी जी बोले, “क्यों? ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है और जिस पर कुछ रंग लगा है। इसमें ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है और ना ही कुछ बोल सकता है।” और स्वामी जी बोलते गए,
“इसमें ना ही हड्डी है और ना प्राण फिर भी आप इस पर कभी थूंक नहीं सकते क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो। और आप इस तस्वीर का अनादर करना अपने पिता का अनादर करना ही समझते हो।”
थोड़े मौन के बाद स्वामी जी आगे कहा- “ठीक वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी या धातु की मूर्ति की पूजा भगवान का स्वरूप मान कर करते हैं। भगवान तो कण-कण में है, पर एक आधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं।”
स्वामी जी की बात सुनकर राजा ने स्वामी जी के चरणों में गिर कर क्षमा माँगी।
(Source: Book Prerak Kahaniyan by Rajesh Kumar)
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Thursday 5 March 2015

हिंदी के कुछ चौंकाने वाले वैज्ञानिक तथ्य

कमलाशंकर विश्वकर्मा, नई दिल्ली (05 मार्च, 2015)
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है,
जैसा कि नीचे स्पष्ट किया गया है, अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती है।
क, ख, ग, घ, ङ- को कंठव्य कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है, एक बार बोल कर देखिये।
च, छ, ज, झ, ञ- तालव्य कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालु से लगती है, एक बार बोल कर देखिये।
ट, ठ, ड, ढ, ण- मूर्धन्य कहा जाता है, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है, एक बार बोल कर देखिये।
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है, एक बार बोल कर देखिये।
प, फ, ब, भ, म- ओष्ठ्य कहा जाता है, क्योंकि इनका उच्चारण होंठों के मिलने पर ही होता है, एक बार बोल कर देखिये।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते है ये सही है, परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये और शेयर कीजिये।