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Sunday 8 March 2015

मूर्ती पूजा का रहस्य

Mystery of Murti Pooja : Swami Vivekananda
कोई कहे कि हिन्दू मूर्ती पूजा क्यों करते हैं? तो उन्हें बतायें मूर्ती पूजा का रहस्य।
स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और बोला- “तुम हिन्दू लोग मूर्ती की पूजा करते हो ? जो कि मिट्टी, पीतल और पत्थर की बनी होती है। मैं ये सब नहीं मानता। ये तो केवल एक पदार्थ मात्र है।”
उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी की नजर उस तस्वीर पर पड़ी।
विवेकानंद जी ने राजा से पूछा- “राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?”
राजा बोला- “मेरे पिताजी की”
स्वामी जी बोले- “उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिये।”
राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है।
स्वामी जी राजा से- “अब आप इस तस्वीर पर थूंकिए !”
राजा- “ये आप क्या बोल रहे हैं, स्वामी जी.?
“स्वामी जी- “मैंने कहा उस तस्वीर पर थूंकिए.!”
राजा (क्रोध से)- “स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नहीं कर सकता।”
स्वामी जी बोले, “क्यों? ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है और जिस पर कुछ रंग लगा है। इसमें ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है और ना ही कुछ बोल सकता है।” और स्वामी जी बोलते गए,
“इसमें ना ही हड्डी है और ना प्राण फिर भी आप इस पर कभी थूंक नहीं सकते क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो। और आप इस तस्वीर का अनादर करना अपने पिता का अनादर करना ही समझते हो।”
थोड़े मौन के बाद स्वामी जी आगे कहा- “ठीक वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी या धातु की मूर्ति की पूजा भगवान का स्वरूप मान कर करते हैं। भगवान तो कण-कण में है, पर एक आधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं।”
स्वामी जी की बात सुनकर राजा ने स्वामी जी के चरणों में गिर कर क्षमा माँगी।
(Source: Book Prerak Kahaniyan by Rajesh Kumar)
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