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Monday 9 March 2015

चरण-स्पर्श का वैज्ञानिक एवं वैदिक महत्व

Maa ke Charan Sparsh karte hue Modi Ji
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार देवता, गुरू, माता-पिता एवं बुजुर्गों की चरण वंदना को श्रेष्ठ माना जाता है, भारतीय वैदिक संस्कृति में इसको सबसे ज्यादा मान्यता भी प्राप्त हैं। चरण स्पर्श के लिए सम्मानीय श्रद्धेय व्यक्ति के समक्ष झुकना होता है जो हमारे अंदर विनम्रता के भावों को जगाता है और जब हम विनम्र होकर वरिष्ठजनों के चरण छूते हैं तो वैज्ञानिक सिध्दांत के अनुसार यह एक टच थैरेपी हैं जो ऊर्जा को गतिमान बनाती है।
कोई भी व्‍यक्ति कितना ही क्रोधी स्‍वभाव का हो, अपवित्र भावनाओं वाला हो यदि उसके भी चरण स्‍पर्श किए जाते हैं तो उसके मुख से आशीर्वाद, दुआएं, सदवचन ही निकलते हैं।
धर्म शास्त्रों में "मां" को सर्वोच्च दर्जा दिया गया है। श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि, ‘माताओं के चरण स्पर्श से मिला आशीष, सात जन्मों के कष्टों व पापों को दूर करता है और उसकी भावनात्मक शक्ति संतान के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।’
‘ मां के चरणों में स्वर्ग है।’ "मां " से बढ़ कर कोई बड़ा शब्द नहीं होता। त्याग, तपस्या और सेवा का दूसरा नाम ही तो मां है।
आपके दिन की शुरुआत कैसी होती है इसका प्रभाव आपके पूरे दिन के काम पर पड़ता है इसलिए यह आवश्यक है कि आप दिन की शुरुआत इस तरह से करें कि सब कुछ आपके अनुकूल हो जाए। आप जो भी काम करें उसमें आपको सफलता मिलती जाए। "मां " का आशीर्वाद एक अच्छा अहसास है जिससे जीवन रूपांतरित होता है I
मां का चरण स्पर्श करके आप उस परमात्मा को प्रणाम करते हैं जो व्यक्ति के शरीर में आत्मा के रूप में मौजूद होता है। चरण स्पर्श करते समय हमेशा दोनों हाथों से दोनों पैरों को छूना चाहिए। एक हाथ से पांव छूने के तरीके को शास्त्रों में गलत बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। विशेष तौर पर जब आप किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हों या कोई नया काम शुरू कर रहे हों। इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
मेरा विचार है की - माँ के चरण स्पर्श से या किसी भी बुजुर्ग के चरण स्पर्श (छूने से) करने से आपके अंदर सेल्फ कांफिडेंस आता है, जो किसी भी कार्य करने के लिए जरुरी है और आप उस कार्य मेँ सफल होते हें !
मां इस दुनिया में बच्चों के लिए ईश्वर का ही प्रतिरूप है, जिसकी दुआएं उसे हर बला से सुरक्षित रखती हैं। मां के चरण-स्पर्श करने से कुछ पलों के लिए सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा ‍है कि माता-पिता इस संसार में सबसे अधिक पूजनीय है। भगवान् श्री राम भी रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले माता-पिता चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य का अधिकारी भी माता-पिता के आशीर्वाद ने ही बनाया।
जो मनुष्य सुबह उठते ही सर्वप्रथम अपनी मां के चरण स्पर्श करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल ये चार चीजें सदैव बढ़ती हैं और जिस व्यक्ति में इन चार चीजों की वृद्धि होगी उनके स्वस्थ रहने में कोई संदेह नहीं।
चरण वंदन, प्रणाम, नमन हमारी संस्कृति के संस्कार हैं। हमारी धरोहर है। नई पीढ़ी एवम अपने बच्चो को ये संस्कार जरुर देँ।

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