कमलाशंकर विश्वकर्मा, नई दिल्ली (05 मार्च, 2015)
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है,
जैसा कि नीचे स्पष्ट किया गया है, अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती है।
क, ख, ग, घ, ङ- को कंठव्य कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है, एक बार बोल कर देखिये।
च, छ, ज, झ, ञ- तालव्य कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालु से लगती है, एक बार बोल कर देखिये।
ट, ठ, ड, ढ, ण- मूर्धन्य कहा जाता है, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है, एक बार बोल कर देखिये।
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहा जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है, एक बार बोल कर देखिये।
प, फ, ब, भ, म- ओष्ठ्य कहा जाता है, क्योंकि इनका उच्चारण होंठों के मिलने पर ही होता है, एक बार बोल कर देखिये।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते है ये सही है, परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये और शेयर कीजिये।
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